कर्नाटक के बाद अब मध्‍य प्रदेश में महिलाओं पर बड़ा दांव खेलेंगी BJP और कांग्रेस

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कर्नाटक की प्रत्येक महिला को 2,000 रुपये देने के वादा करके कांग्रेस ने राज्‍य में शानदार जीत दर्ज की है. इसके बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चुनावी राज्यों की महिला मतदाताओं को लुभाने की योजना बना रहे हैं. इसकी कवायद मध्‍य प्रदेश में पहले ही शुरू हो चुकी है, जहां पर इस साल नवंबर में चुनाव होने हैं. 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि "लाडली बहना योजना" के तहत शनिवार को 1.25 करोड़ महिलाओं को 1000 रुपए उनके बैंक अकाउंट में भेजे जाएंगे. यह कदम आने वाले महीनों में उनकी पार्टी के अभियान को मजबूत कर सकता है. मध्‍य प्रदेश में भाजपा का नेतृत्व करने वाले चौहान को न केवल दो दशक की सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ेगा, बल्कि आक्रामक कांग्रेस से भी निपटना होगा. यही वजह है कि वह अपनी कई कल्याणकारी योजनाओं को कुछ बदलावों के साथ दोबारा पेश कर रहे हैं.

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चौहान की घोषणा के तुरंत बाद महज दो दिनों में ही रविवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जबलपुर में एक रैली को संबोधित कर सकती हैं और सत्ता में आने पर राज्य की प्रत्येक महिला को 1,500 रुपये प्रति माह देने के पार्टी के वादे की आधिकारिक घोषणा कर सकती हैं. प्रियंका गांधी गौरी घाट पर नर्मदा पूजन और एक रैली को संबोधित भी कर सकती हैं. 

मध्‍य प्रदेश में महिला मतदाता अहम हैं, क्योंकि राज्य के 5.39 करोड़ मतदाताओं में से 48.20 % महिला मतदाता हैं. 15 लाख नए मतदाताओं में से 7 लाख से अधिक महिलाएं हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो चुनावों के बाद से राज्य में महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा है और वास्तव में कम से कम 50 सीटों पर महिलाएं पुरुष मतदाताओं से अधिक हैं, जिनमें एसटी समुदायों के लिए आरक्षित 230 सीटों में से 18 सीटें भी शामिल हैं. 

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ऐसी स्थिति डिंडोरी, बिछिया, निवास, मंडला, बैहर, परसवाड़ा, बालाघाट, वारासिवनी, बरघाट, पानसेमल, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सरदारपुर, कुक्षी और सैलाना सीटों में है, जहां भाजपा को पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था.

2018 में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान महिला मतदाताओं की भागीदारी में 3.75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. कई निर्वाचन क्षेत्रों में महिला मतदाताओं के प्रतिशत के मामले में वृद्धि लगभग 8 से 10 प्रतिशत थी. उस वक्‍त राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था, जिसमें कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जीती थीं और भाजपा को 109 सीटें मिलीं थीं.

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महिलाओं पर फोकस
भोपाल में लाड़ली बहना योजना की घोषणा करते हुए मार्च में सीएम चौहान ने कहा था कि उनके खुद के नौकरशाहों ने ही उन्हें इसको लेकर चेताया था कि इसका असर राज्य के खजाने पर पड़ेगा. सीएम ने कहा था, "लेकिन आपके जीवन को बेहतर बनाना मेरे जीवन का लक्ष्य है और मैं इसे किसी भी कीमत पर करूंगा. स्वीकृति पत्र आपके पास पैसे से पहले आ जाएगा. यदि आपको 1,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं तो इससे आपको काफी मदद मिलेगी. यहां तक ​​कि यदि इसका खर्च 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा आता तो आपका यह भाई संकोच नहीं करेगा." 

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इस योजना का लाभ समाज के सभी वर्गों की उन सभी महिलाओं को मिलेगा, जो इनकम टैक्स नहीं देते हैं या जिनके पास पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं, खुद का ट्रैक्टर नहीं है और वे अन्य सरकारी योजनाओं की लाभार्थी नहीं हैं. राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि आवेदनों की प्रक्रिया 25 मार्च से शुरू हुई थी और अब तक करीब सवा करोड़ आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. अधिकारी ने बताया, "आवेदन की प्रक्रिया बहुत सरल रखी गई है. आवेदक को अपनी समग्र आईडी मूल रूप से मध्य प्रदेश राज्य की निवासी के रूप में दिखानी होगी. इसके लिए कोई अतिरिक्त दस्तावेज या प्रमाण पत्र नहीं मांगा जा रहा है." अधिकारियों का कहना है कि इससे बीएमआई और महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य में सुधार होगा, श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, महिलाओं को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता और उनकी परिवार के भीतर निर्णय लेने की भूमिका में सुधार होगा तो वित्तीय हालात बेहतर होंगे.

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भाजपा नेता पी मुरलीधर राव का कहना है कि भाजपा और राज्य सरकार की महिलाओं तक पहुंच बढ़ाने की कोशिश और उनके जीवन को बेहतर बनाना इस चुनाव में गेमचेंजर साबित होगा और पार्टी को 2018 में हारी हुई सीटों को जीतने में भी मदद मिलेगी. 

अधिकारियों ने कहा कि लाड़ली बहना योजना के अलावा मध्य प्रदेश सरकार ने बालिका विवाह योजना 'लाडली लक्ष्मी योजना' के लिए 900 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए हैं. कुछ अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी महिलाओं को पुलिस भर्ती में 30 फीसदी और अन्य सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण है. सीएम चौहान ने रक्षा बंधन के अवसर पर राज्य भर की महिलाओं को पांच लाख पत्र भेजे थे. इन पत्रों में उन्होंने सरकार की महिलाओं के लिए योजनाओं का जिक्र किया है और राज्य को समृद्ध बनाने के लिए "अपनी बहनों" से पांच साल और मांगे हैं. अधिकारियों ने कहा कि जेंडर बजट में भी 2022-2023 में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, जिसमें करीब 85,000 करोड़ रुपये महिला कल्याण के लिए थे. साथ ही बताया कि राज्य सरकार महिलाओं के लिए करीब 350 योजनाएं चला रही है, जिसमें महिला कर्मचारियों को सात दिन का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश, कौशल प्रशिक्षण और महिलाओं के लिए विशेष रोजगार मेला भी शामिल हैं. 

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हालांकि, महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टियों के बीच होड़ के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि वादों को मूर्त रूप देना असली मायने रखता है. भोपाल की सोशल साइंटिस्‍ट निशि दत्ता ने कहा कि जहां फ्री राशन पर निर्भर करने वाले गरीब परिवारों की संख्‍या बहुत ज्‍यादा हो वहां पर अवसरों और सामाजिक सशक्तिकरण करना जरूरी होती है, सिर्फ मदद करना नहीं. 

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा था कि भाजपा के वादे खोखले थे और कांग्रेस महिलाओं को प्रति माह 1,000 रुपये के बजाय 1,500 रुपये देगी. साथ ही उन्होंने कहा था, "... हम रसोई गैस सिलेंडर की कीमत घटाकर 500 रुपये करने जा रहे हैं."

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