अरब सागर से उठा चक्रवात 'बिपरजॉय' का गुजरात के तट पर लैंडफॉल हो चुका है. यह तूफान 13 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. गुजरात में बिपरजॉय की तबाही के बीच राज्य सरकार ने लुप्तप्राय एशियाई शेरों और अन्य जानवरों को बचाने के भी खास उपाय किए हैं. राज्य सरकार बिपरजॉय तूफान को लेकर 'जीरो कैसुअल्टी' का दृष्टिकोण अपना रही है. इसके तहत गिर वन, कच्छ में नारायण सरोवर अभयारण्य, माता नो मध, बरदा और नारायण सरोवर में बचाव दलों को रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वाइल्ड लाइफ सैंचुरी में लुप्तप्राय एशियाई शेरों पर काफी ध्यान दिया जा रहा है. 9 डिवीजनों के तहत 184 टीमों और उनके लिए 58 कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. एक स्पेशल टीम गिर वन और तटीय क्षेत्रों में 40 शेरों के स्थान और गतिविधि की निगरानी कर रही है.
राज्य सरकार ने एक बयान में कहा, "जंगली जानवरों से संबंधित आपातकालीन एसओएस संदेशों को कुशलतापूर्वक संभालने के लिए 58 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. जूनागढ़ वन्यजीव और प्रादेशिक सर्कल में गिर पूर्व, गिर पश्चिम, सासन, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर, जामनगर, भावनगर, मोरबी और जूनागढ़ वन प्रभाग शामिल हैं."
इसके अलावा 13 ऑपरेशनल टीमों, छह विशेष वन्यजीव बचाव दलों को कच्छ के अभयारण्य क्षेत्र में भेजा गया है. गुजरात के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन नित्यानंद श्रीवास्तव ने कहा, 'चक्रवात से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने कहा, "हम हाई अलर्ट पर हैं. इस चक्रवात का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं..."
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