महाराष्ट्र में नहीं थम रहा कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला

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किसानों की आत्महत्या पर लगातार बहस होती है. सरकारें बदल जाती हैं लेकिन किसानों की आत्महत्याओं के मामले आने खत्म नहीं होते. हर सरकार खुद को किसानों की हितैषी बताती है फिर भी किसान जान दे रहे हैं. आखिर क्यों हो रही है उनकी अनदेखी? यह बड़ा सवाल है. बड़ा सवाल यह भी है कि इस अनदेखी को कैसे खत्म किया जाए. महाराष्ट्र के चंद्रपुर में पिछले सात महीनों में 73 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. इस साल विदर्भ में 1,567 अन्नदाताओं ने जान दे दी है. यवतमाल में 83 दिन में 82 किसानों ने जान दे दी है. अभी भी किसान परेशान हैं, क्योंकि पहले बेमौसम बारिश हुई और फिर उसके बाद बारिश ही नहीं हो रही है. ज़्यादातर किसान आज भी बारिश पर ही निर्भर हैं.

NCRB के डाटा के मुताबिक, 2021 में 5,563 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की. यह 2020 की तुलना में ये 9% ज़्यादा था, वहीं 2019 की तुलना में 29% ज़्यादा. सबसे ज़्यादा 1,424 खेतिहर मज़दूरों ने महाराष्ट्र में जान दी. वहीं कर्नाटक में 999 खेतिहर मज़दूरों ने आत्महत्या की और आंध्र प्रदेश में 584 ने जान दी.  

दरअसल इसको समझने की ज़रूरत है कि ये खेतिहर मज़दूर कौन हैं.. ये वही किसान हैं जो ज़मीन से जब मुनाफ़ा नहीं होता तो खेती छोड़कर मज़दूरी करने लगते हैं, लेकिन वहां भी इन्हें बहुत कुछ नहीं मिलता है. 

महाराष्ट्र मे औसतन हर रोज सात किसानों ने जान दी

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में  830 किसानों ने जनवरी से अप्रैल के बीच आत्महत्या की है. औसतन हर रोज सात किसानों ने जान दी. सरकार ने 830 आत्महत्या के मामलों में से 283 मामलों को मुआवज़े के लिए सही माना. एक लाख रुपये मुआवज़ा दिया जाता है. वहीं 2006 के बाद मुआवज़े की राशि नहीं बढ़ाई गई है. 

नाम जीवनदास लेकिन ढाई लाख के कर्ज के बोझ ने जीवन खत्म करने पर मजबूर कर दिया. चन्द्रपुर के 45 साल के जीवनदास धान की खेती करते थे. अब पत्नी और बच्चे बेसहारा हैं.

सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली

मृत किसान जीवनदास की पत्नी ने कहा, ''मैं उनसे बार-बार कहती थी कि आप चिंता मत करो, धीरे-धीरे सबका कर्जा चुका देंगे. लेकिन उन्होंने मेरे और मेरे बच्चों के बारे में बिना सोचे खुदकुशी की. मुझे आज तक सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली. मैं मेरे परिवार को मदद करने की विनती करती हूं.''   

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र के चंद्रपुर में किसानों की हालत बुरी है. इस साल 73 किसानों ने अपनी जान दी है. इनमें पिछले महीने यानी जुलाई में जान देने वाले 
वाले 15 किसान शामिल हैं.

चंद्रपुर में पांच सालों में 446 किसानों ने खुदकुशी की

चंद्रपुर में 7 महीने में 73 किसानों ने खुदकुशी की है. साल 2001 से 2023 तक 1148 मामले सामने आए. इनमें 745 किसान ऐसे थे, जिन्हें सरकारी मुआवजा मिलना था. इनमें 329 किसान ऐसे थे, जो मुआवजे के हकदार नहीं थे. इसमें दिसंबर 2022 से 48 केस पेंडिंग हैं. पिछले पांच सालों में 446 किसानों ने अपनी जान दे दी है.

इस साल जून-जुलाई में बाढ़ और बारिश ने किसानों का बड़ा नुकसान किया है, वहीं बिना बारिश का अगस्त महीना भी डरा रहा है. जिले के 852 गांवों के 64 हजार 379 किसानों की कुल 54 हजार 514 हेक्टेयर में लगी फसल खराब हो चुकी है. 

प्रभावित जिलों में तुरंत अकाल घोषित हो

पेशे से किसान और महाराष्ट्र के किसानों की आवाज उठाने वाले शशि सोणावने मांग कर रहे हैं कि प्रभावित क्षेत्र में अकाल घोषित हो. उन्होंने कहा कि, ''राज्य और केंद्र सरकार से यही मांग है कि महाराष्ट्र में कुछ जिले ऐसे हैं कि वहां आप तुरंत अकाल घोषित करो. अकाल घोषित करने से जो सरकारें बच रही हैं, वह गलत है. आप सर्वे कीजिए और जो जिले ज्यादा प्रभावित हैं वहां तुरंत अकाल घोषित करें. जहां अकाल जैसी स्थिति लग रही है वहां उपाय कीजिए. सरकार पॉलिटिकल मीटिंग कर रही है.'' 

बताया जाता है कि इस साल विदर्भ में 1567 अन्नदाताओं ने जान दी है. 83 दिन में यवतमाल के 82 किसानों ने आत्महत्या की है. जानकार बताते हैं कि अगले 12-15 दिन इसी तरह बारिश नदारद रही तो महाराष्ट्र के किसानों का हाल बद से बदतर होने वाला है.



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