"यहां मार्गदर्शक बने और सहयोगी भी...": लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने ताजा कीं पुरानी संसद की यादें

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पुराने संसद भवन में सोमवार को कार्यवाही का आखिरी दिन था. पुराने भवन में संसद के विशेष सत्र की शुरुआत हुई. मंगलवार गणेश चतुर्थी के दिन कामकाज नए संसद में होगा. लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने पुराने संसद भवन में ऐतिहासिक फैसलों को करीब से देखा है. महाजन ने कहा, "वास्तव में पुराना संसद भवन हमारे लिए हमेशा यादगार रहेगा. आज भी अगर मैं संसद भवन को याद करूं, तो जेहन में पुरानी बिल्डिंग ही आएगी." उन्होंने कहा- "हालांकि, नए भवन की देश को जरूरत थी. ये समय पर बनकर तैयार हुआ. अब संसद का कामकाज वहां शिफ्ट हो रहा है."

NDTV से खास बातचीत में सुमित्रा महाजन ने कहा, "पुराने संसद भवन का गोलाकार मुझे याद रहेगा. कई बार परेशान हो जाती थी कि किस गेट से जाना है और कहां से बाहर निकलना है. यहां मुझे जिन-जिन लोगों का साथ मिला, जो मार्गदर्शक भी बने और साथी सहयोगी भी. ये सभी याद आएंगे. पुराने संसद भवन में हमने कई अच्छे-अच्छे भाषण सुने. कैसा बोलना है, कैसा व्यवहार करना है... इससे भी हम रूबरू हुए. दूसरों की बात काटना भी हो, तो उसे कैसे अच्छी और शालीन भाषा के जरिए काटना है, ये भी हमने यहीं से सीखा."

सुमित्रा महाजन ने कहा, "संसद में मुझे कई बड़े नेताओं के अच्छे-अच्छे भाषण सुनने को मिले. जो देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले थे. हमने यहां अटल बिहारी वाजपेयी को सुना, जिन्होंने हमेशा कहा कि जो कुछ है, वो हमारी भारत माता के लिए है. इसके अलावा इंद्रजीत गुप्ता, चंद्रशेखर जी, सुषमा स्वराज जी... ये जब बोलने के लिए खड़े होते थे, तो सब उन्हें सुनने के लिए बैठ जाते थे."

बता दें कि सुमित्रा महाजन ताई के नाम से जानी जाती हैं. वह मीरा कुमार के बाद लोकसभा स्पीकर का पद संभालने वाली दूसरी महिला रही हैं. 12 अप्रैल 1943 को महाराष्ट्र के चिपलुन में जन्मी सुमित्रा महाजन के पिता संघ के प्रचारक थे. 22 साल की उम्र में इंदौर में एडवोकेट रहे स्व. जयंत महाजन से उनका विवाह हुआ. वे खुद एडवोकेट भी हैं.

सुमित्रा महाजन का राजनीतिक जीवन 1980 के दशक में शुरू हुआ. वे इंदौर की डिप्टी मेयर चुनी गईं. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें इंदौर-3 से विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन कांग्रेस के महेश जोशी ने उन्हें हरा दिया. राजनीति के जीवन में ये उनकी एकमात्र हार थी. 1989 में उन्होंने पूर्व मंत्री प्रकाशचंद्र सेठी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद जीत का सिलसिला शुरू हो गया.

अपनी शिष्टता, सौम्यता और साफगोई के लिए प्रसिद्ध सुमित्रा महाजन के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है, जिसे तोड़ना लगभग असंभव है. वे देश की एकमात्र महिला सांसद हैं, जो एक ही लोकसभा क्षेत्र से एक ही पार्टी से लगातार 8 लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं. सुमित्रा ताई ने 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में जीत हासिल की. सुमित्रा ताई को साल 2021 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

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