अस्पतालों में ‘नकली’ दवाओं की सप्लाई : सौरभ भारद्वाज ने स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सरकारी अस्पतालों में घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की कथित आपूर्ति को लेकर शनिवार को स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की कथित आपूर्ति को लेकर उपराज्यपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की है.

भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से सचिव के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा निदेशालय-दिल्ली (डीएचएस) के एक पूर्व निदेशक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘‘जुलाई-अगस्त में कुछ दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे और 43 नमूनों में से पांच मानकों पर खरे नहीं उतरे.''

मार्च में स्वास्थ्य विभाग का कार्यभार संभालने वाले भारद्वाज ने कहा, ‘‘मुझे डेढ़ महीने बाद इसके बारे में पता चला.''

मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और उनके विभागों की जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था. भारद्वाज ने कहा, ‘‘बैंडेज जैसी वस्तुएं भी गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं पाई गईं.''

राज निवास के अधिकारियों ने कहा था कि सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ‘‘गुणवत्ता मानक परीक्षणों में विफल'' और ‘‘जीवन को खतरे में डालने की क्षमता'' वाली दवाओं की कथित आपूर्ति की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इसके बाद मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया.

जांच की सिफारिश करते हुए उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उल्लेख किया है कि यह चिंताजनक है कि ये दवाएं लाखों मरीजों को दी जा रही हैं.

उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि दिल्ली स्वास्थ्य सेवा (डीएचएस) के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) द्वारा खरीदी गई ये दवाएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों को आपूर्ति की गईं और हो सकता है कि इन्हें मोहल्ला क्लीनिक को भी आपूर्ति की गई हो.

भारद्वाज ने कहा, ‘‘जब यह नोट (उपराज्यपाल का) आया, तो मुझे लगा कि दोनों मामलों (इस्तेमाल वाली चिकित्सा सामग्रियों और दवाओं के संबंध में) में सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है, लेकिन जांच का आदेश केवल दवाओं के संबंध में दिया गया है.''

मंत्री ने कहा कि उपभोग्य सामग्रियों को केंद्र के सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल से लाया गया था. भारद्वाज ने कहा कि जब उन्होंने मार्च में पदभार संभाला था, तो उन्होंने निर्देश दिया था कि दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों की सभी खरीद के ऑडिट में तेजी लाई जाए.

मंत्री ने कहा, ‘‘दवाओं की खरीद सीपीए के माध्यम से की जाती है. डीएचएस-दिल्ली इसके प्रमुख हैं और स्वास्थ्य सचिव विभाग के प्रभारी हैं. अगर कुछ हुआ है तो केंद्र के पास इन अधिकारियों (स्वास्थ्य सचिव और डीएचएस के पूर्व निदेशक) के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति है. वे इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?''

भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार की पहल ‘दिल्ली के फरिश्ते' योजना को रोकने पर स्वास्थ्य सचिव और डीएचएस-दिल्ली के पूर्व निदेशक के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की है.

उन्होंने कहा, ‘‘23 अक्टूबर को, हमने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के माध्यम से उपराज्यपाल को दोनों अधिकारियों (स्वास्थ्य सचिव और पूर्व डीएचएस अधिकारी) को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के लिए पत्र लिखा था. केंद्र इस पर क्यों बैठा है?''

भारद्वाज ने कहा, ‘‘केंद्र ने निर्वाचित सरकार के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही खत्म कर दी है. आप हमसे क्यों पूछ रहे हैं? अगर भ्रष्टाचार हुआ है, तो इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. वे संबंधित मंत्री के प्रति जवाबदेह नहीं हैं.''

भारद्वाज ने कहा कि जब से वह स्वास्थ्य मंत्री बने हैं, तब से स्वास्थ्य सचिव और डीएचएस के साथ कई बैठकें हुईं और कई निर्देश जारी किए गए.

भारद्वाज ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सचिव को कई नोट भेजे गए लेकिन निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. निर्देशों पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगने के लिए पत्र भी भेजे गए लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया.''



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