लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को लेकर AAP और कांग्रेस सरकार में तनातनी, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

As Tech in Life
0

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को लेकर AAP और कांग्रेस सरकार में तनातनी बढ़ती दिख रही है. पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंदर नगर में ब्रिटिश निर्मित शानन हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना को लेकर याचिका दाखिल की है. इसमें 99 साल की लीज खत्म होने पर हिमाचल सरकार को प्रोजेक्ट के टेकओवर करने पर रोक लगाने की मांग की गई है. पंजाब के AAG शादान फरासत ने मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है.

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने जल्द सुनवाई का भरोसा देते हुए कहा कि अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेंगे. राजनीतिक रूप से संवेदनशील अंतर-राज्य विवाद को उठाते हुए पंजाब की भगवंत मान सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. कांग्रेस के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार को प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज खत्म होने  पर परियोजना को संभालने से रोकने का निर्देश देने की मांग की है. ये याचिका संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत किया गया है, जिस पर केवल SC ही सुनवाई कर सकता है.

पंजाब सरकार ने सूट में कहा है कि कि लीज की समाप्ति अप्रासंगिक है, क्योंकि परियोजना का रखरखाव और नवीनीकरण राज्य द्वारा अपने स्वयं के पैसे से किया गया है ताकि इसकी क्षमता 48 से 110 मेगावाट तक बढ़ाई जा सके. इसके अलावा, यह दलील दी गई है कि शानन परियोजना के बदले में, पंजाब ने हिमाचल प्रदेश के लिए 100 मेगावाट की बस्सी जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया था. पंजाब ने हिमाचल पर दुर्भावनापूर्ण तरीके से बिजलीघर पर कब्जा करने का इरादा रखने का आरोप लगाया है. याचिका में कहा गया है कि इससे पहले चार मौकों पर, 2 मार्च को समाप्त होने वाली लीज के अस्तित्व के दौरान, सिविल अदालतों ने पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) को परियोजना का मालिक होने का फैसला सुनाया था.

इस परियोजना को उहल नदी जलविद्युत परियोजना के रूप में भी जाना जाता है. इसकी अनुमानित लागत 1,600 करोड़ रुपये है और वर्तमान में यह 110 मेगावाट बिजली पैदा करती है. जब इसका निर्माण 1932 में किया गया था, तब इसकी स्थापित क्षमता 48 मेगावाट थी. इसे बाद में 1982 में पंजाब सरकार ने बढ़ा दिया था.1966 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद, शानन परियोजना पंजाब को दे दी गई क्योंकि 99 साल का लीज समझौता खत्म  नहीं हुआ था. दिलचस्प बात ये है कि 1932 में शुरू की गई शानन परियोजना, मेगावाट क्षमता में भारत का पहला पनबिजली स्टेशन है. इसका निर्माण 3 मार्च, 1925 को मंडी राज्य के शासक जोगिंदर सेन और ब्रिटिश प्रतिनिधि कर्नल बीसी बट्टे के बीच 99 साल की लीज के तहत  हुआ था. यह वर्तमान में पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के नियंत्रण में है.

परियोजना से पूरा राजस्व पंजाब को मिलता है..वहीं चूंकि लीज खत्म हो रही है, हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार परियोजना पर नियंत्रण हासिल करने के लिए लीज को आगे नवीनीकृत नहीं कराना चाहती. राजनीतिक रूप से संवेदनशील यह मुद्दा आम चुनाव से पहले भारतीय गठबंधन के AAP और कांग्रेस के बीच दरार पैदा कर सकता है. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सुक्खू शानन परियोजना को तुरंत हिमाचल प्रदेश में ट्रांसफर करने की मांग कर रहा है.

हिमाचल सरकार ने प्रोजेक्ट के खराब रखरखाव, इमारतों की मरम्मत बंद करने और ढुलाई मार्ग ट्रॉली सेवा के खराब रखरखाव का आरोप लगाया.सरकार ने पहले कहा था कि 1966 में राज्य पुनर्गठन के दौरान HP  के साथ अन्याय किया गया था. चूंकि परियोजना हिमाचल  क्षेत्र के भीतर स्थित है, इसलिए इसे HP को दिया जाना चाहिए. जब परियोजना पंजाब को दी गई, उस समय हिमाचल एक केंद्र शासित प्रदेश था.



from NDTV India - Latest https://ift.tt/2kDbi6P
https://ift.tt/WjmLVfa March 02, 2024 at 12:48AM
Tags

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top