NDTV इलेक्शन कार्निवल : रांची में आदिवासियों के मुद्दे पर किस दल का जोर? क्या है नेताओं की राय

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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के मद्देनजर एनडीटीवी इलेक्‍शन कार्निवल (NDTV Election Carnival) झारखंड की राजधानी रांची में पहुंच चुका है. दिल्‍ली से शुरू हुआ यह सफर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार से होते हुए झारखंड पहुंचा है. एनडीटीवी के इस खास कार्यक्रम में स्‍थानीय संस्‍कृति के रंग नजर आए और राजनीतिक विमर्श के बीच राष्‍ट्रीय मुद्दों की भी बात हुई. रांची में भाजपा सांसद संजय सेठ, जेएएमए के नेता सुप्रियो भट्टाचार्य और सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला ने अपनी बात रखी. रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासियों के मुद्दे भी छाए रहे. 

संजय सेठ ने कहा, "5 साल पूरे हो रहे हैं. इन पांच सालों में दो साल कोरोना भी था. रांची की यह जनता जानती है कि जब सबसे बड़ी आपदा कोरोना आई थी, जब आपदा आई तो भाजपा कार्यकर्ता ही सड़क पर दिखते थे. उन्‍होंने कहा कि हमने महीनों सेवा की." 

सेठ ने कहा, "लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर लोकसभा है. क्षेत्र की जनता इसलिए आपको चुनकर भेजती है कि हमारी जो प्रमुख समस्‍याएं हैं, लोकतंत्र के मंदिर में उन्‍हें उठाया जाए. उन्‍होंने कहा कि ऐसा कोई सत्र नहीं गया है, जब रांची तो छोड़ दीजिए हमने झारखंड के प्रमुख मुद्दों पर प्रमुखता से बात नहीं रखी हो." उन्‍होंने कहा कि प्रश्‍न पत्र लीक मामले में हमने कहा कि 9 लाख छात्रों के साथ खिलवाड़ हुआ है. इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए. 

चांडिल डैम अभिशाप बन गया : सेठ 

उन्‍होंने कहा कि ईचागढ़ में चांडिल डैम का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि हमने सोचा था कि चांडिल डैम वरदान होगा, लेकिन वह अभिशाप बन गया और विस्‍थापितों की चौथी पीढ़ी खड़ी हो गई, लेकिन आज तक उनको न्‍याय नहीं मिला. उन्‍होंने कहा कि इस सत्र में हमने कहा कि जब से चांडिल डैम की शुरुआत हुई है, उसकी सीबीआई जांच हो जाए तो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. 

वही इसी मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला ने कहा कि जिस चांडिल डैम को हम जानते हैं कि 32 हजार आदिवासी मूल वासी विस्‍थापित होकर डैम भी बना कारखाना भी बना. वहां पर एक कंपनी को पानी दिया जा रहा है, लेकिन नीचे जो गांव हैं, उन्‍हें पीने के लिए पानी ही नहीं मिल रहा है. 

50 करोड़ की लागत से डंपिग यार्ड बनाया : सेठ 

भाजपा सांसद ने अपनी उपलब्धियां गिनाई और कहा कि झीरी में एक लाख लोग दमा, कैंसर और अस्थमा से पीड़ित होते थे और पूरे शहर का कूड़ा वहां डंप होता था. 50 करोड़ की लागत से हमने वहां पर डंपिग यार्ड बनाया है. गेल इंडिया के स्‍वच्‍छता मिशन से पैसा लेकर वो तैयार हुआ है. अभी 150 मीट्रिक टन क्षमता का तैयार हुआ है और 150 मीट्रिक टन क्षमता का और तैयार हो रहा है. रोजाना इससे 10 हजार लीटर सीएनजी गैस और 18 टन ऑर्गेनिक खाद बनेगी. 

उन्‍होंने बताया कि 304 करोड़ की लागत से 53 वार्डों में सीवर लाइन डाली गई है. सीवर के पानी से बीमारियां होती थी. हमने प्‍लांट तैयार किया लेकिन निगम ने एनओसी नहीं दी, जिसके कारण उसकी शुरुआत नहीं हो सकी है. उन्‍होंने कहा कि डेढ़ साल पहले प्‍लांट बनकर तैयार हुआ और अब सड़क की खुदाई शुरू हुई है. अभी कम से कम एक साल लगेगा पाइप बिछाने में. उन्‍होंने कहा कि इससे 370  लाख लीटर पानी शुद्ध होकर जुमार नदी में जाएगा और जुमार नदी जिंदा हो जाएगी. 

22 महीने से तनख्‍वाह नहीं मिली : भट्टाचार्य 

जेएएमए के नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आजादी के बाद से रांची की पहचान मदर ऑफ इंडस्‍ट्री एटीसी के रूप में हुई थी. उन्‍होंने कहा कि आज 22 महीने से एचईसी में तनख्‍वाह नहीं मिली है. इससे पहले भी भाजपा के सांसद थे. लगातार बीजेपी के विधायक रहे हैं. 10 साल में हैवी  इंडस्‍ट्री डिपार्टमेंट के किसी भी मंत्री का यहां आना नहीं हुआ है. इसके पहले बताइए कौनसी सरकार रही है देश में कि उस विभाग का मंत्री यहां नहीं आया है.  

सामाजिक कार्यकर्ता दयामणि बारला ने कहा कि जब हम छोटे थे तो हम एचईसी के बारे में सुना करते थे और तब भी यहां पर बोलते थे कि एचईसी शहर बना है तो इस राज्‍य का विकास हुआ है. उन्‍होंने कहा कि आज की तारीख में एचईसी कर्मियों के साथ एचईसी को जिंदा रखने के लिए और उनके कर्मियों को तनख्‍वाह दिलाने के लिए रोज धरने में बैठते हैं. उन्‍होंने कहा कि एचईसी के विस्‍थापितों का आज तक भी पुनर्वास नहीं हुआ है. यहां संसद प्रतिनिधि की जिम्‍मेदारी होती है, विधायक की जिम्‍मेदारी होती है और हमारी जिम्‍मेदारी होती है.  

इस पर सेठ ने कहा कि एचईसी को 70-80 साल हो गए. क्‍या किया. उसमें किसकी सरकार थी, कांग्रेस की. क्‍या किया. उन्‍होंने कहा कि अधिकतर कांग्रेस की सरकार रहीं. उन्‍होंने कहा कि एचईसी किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने देंगे. 

उन्‍होंने कहा कि हिंदुस्‍तान में सड़कों की तकदीर और तस्‍वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बदल दी है. 

दयामणि बारला ने सवाल उठाया कि जमीन लेने के लिए आप केंद्र में कानून पर कानून बनाते हो तो आप जमीन लेने के बाद यहां के विस्‍थापितों को नौकरी देने के लिए क्‍येां नीति नहीं बनाते हैं. उन्‍होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग 2014 के बाद से यातनाएं झेल रहे हैं कि अपने देश के कितने कानूनों को बदल दिया है. देश में अगर तमाम आदिवासियों के दलितों के कानूनों को बदल सकते हैं तो पांच साल में आप यहां के विस्‍थापितों के लिए कानून क्‍यों नहीं ला सकते हैं. 

लूट की दुकान का शटर बंद हो गया : सेठ 

सीबीआई और ईडी की कार्रवाई पर सेठ ने कहा कि आप भ्रष्‍टाचार करोगे, काला धन रखेगा, जमीनों की लूट करोगे तो सीबीआई छापा नहीं मारेगी? यह लूट की छूट नहीं होगी, यह मोदीजी की गारंटी है कि आपने रिश्‍वत ली है और एक भी पैसा जनता का खाया है तो मोदी हिसाब लेंगे और जनता को देंगे. इनकी 60 साल की लूट की दुकान का शटर बंद हो गया है, इसलिए ये इतना बिलबिला रहे हैं. साथ ही उन्‍होंने चुनौती देते हुए कहा कि इन 10 सालों में एक भी घेाटाला बता दो.

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