हरियाणा चुनाव में इन 6 चेहरों पर सबकी नजर, जानिए इनकी खुद की सीट का समीकरण

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Haryana Polls 2024 : हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक अक्टूबर को मतदान होगा.  मतगणना चार अक्टूबर को होगी. हालांकि, भाजपा और इनेलो ने तारीख बढ़ाने की मांग चुनाव आयोग से की है, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. हरियाणा में वर्तमान में भाजपा की सरकार है. उसकी चुनौती राज्य में अपनी सत्ता को बरकरार रखना है. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में राज्य में विपक्षी मतों के एकजुट होने से भाजपा की सीट संख्या घटकर पांच रह गई तथा शेष सीट कांग्रेस के खाते में चली गईं. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस भी पिछले 10 सालों से सत्ता का इंतजार कर रही है. दुष्यंत और अभय चौटाला भी अपनी किस्मत खुलने की राह देख रहे हैं. जाहिर है सभी दलों के लिए हरियाणा का चुनाव बेहद अहम है. 

करनाल से कौन उम्मीदवार?

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वहीं स्थानीय निवासियों के अलावा आम लोगों की नजर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी के अलाव कुछ चुनिंदा चेहरों पर है. इनमें सबसा पहला चेहरा मनोहर लाल खट्टर हैं. मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) करनाल से सांसद बन चुके हैं और फिलहाल केंद्र सरकार में मंत्री है. अटकलें हैं कि माहौल बनाने के लिए भाजपा दिग्गज नेताओं को भी विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है. हालांकि, मनोहर लाल के विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना बेहद कम है. ऐसे में सभी की नजर इस बात पर है कि भाजपा की तरफ से इस सीट से कौन उम्मीदवार होगा? संभावना जताई जा रही है कि करनाल से अरविंद शर्मा चुनाव लड़ सकते हैं. वैसे मनोहर लाल के इस सीट से इस्तीफा देने के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी यहां से चुनाव लड़े थे और जीत भी दर्ज की थी.

नायब सिंह सैनी की मुश्किल

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अगर करनाल से अरविंद शर्मा चुनाव लड़ेंगे तो नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) का क्या होगा? जाहिर है इस पर भी सभी लोगों की निगाह रहेगी. बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा विधानसभा सीट से नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. फिलहाल यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है. 2019 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के मेवा सिंह चुनाव जीते हैं. इससे पहले 2014 में भाजपा के डॉ. पवन सैनी चुनाव जीते थे. वहीं 2009 में यहां से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के शेर सिंह बसशामी चुनाव जीते थे. जाहिर है यहां से कोई भी पार्टी लगातार नहीं जीत पाई है. वहीं कांग्रेस के साथ-साथ इनेलो का भी यहां वोटर है. ऐसे में नायब सिंह सैनी का यहां से चुनाव लड़ने का निर्णय करना चर्चा में रहेगा. साथ ही सभी की नजर भी बनी रहेगी. 

राव इंद्रजीत फैक्टर

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केंद्र सरकार में मंत्री और गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह (Rao Inderjit Singh) की दक्षिण हरियाणा में पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, फरीदाबाद, पलवल और नूंह जिलों में इनका काफी असर है. अहीरवाल में मुख्य रूप से गुरुग्राम, सोहना, पटौदी, बादशाहपुर, महेंद्रगढ़, नारनौल, नांगल चौधरी, रेवाड़ी, बावल, कोसली और अटेली विधानसभा सीटें आती हैं, लेकिन करीब 20 सीटों पर यादव वोटर निर्णायक संख्या में माने जाते हैं और इन पर इंद्रजीत सिंह की पकड़ है. बताया जा रहा है कि राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव अटेली से चुनाव लड़ सकती हैं. भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में आने वाले अटेली विधानसभा सीट पर 2019 में भी भाजपा का ही कब्जा था. सीताराम यादव फिलहाल यहां से विधायक हैं. अब देखना यह है कि इस सीट पर कांग्रेस की ओर से कौन खड़ा होता है और क्या इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी को जितवा पाते हैं? 

भूपेंद्र हुड्डा का क्या होगा?

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चौथी सीट जो सबसे खास है वह है भूपेंद्र सिंह हुड्डा की. भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) इस बार सत्ता में आने का जोरदार दावा कर रहे हैं. इसलिए इनकी सीट गढ़ी सांपला-किलोई पर भी वोटरों की खास नजर रहेगी.भाजपा और अन्य दल इस सीट पर भूपेंद्र हुड्डा को थामने और बांधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे.माना जा रहा है भाजपा इस बार पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा को मैदान में उतार सकती है.  कृष्णमूर्ति हुड्डा कांग्रेस से अब भाजपा के पाले में आ चुके हैं. वह किलोई से कांग्रेस के टिकट पर 1991 में विधायक भी रह चुके हैं. हालांकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के रिकॉर्ड को देखते हुए तो ऐसा मुश्किल ही लगता है. पिछली बार भी भाजपा ने बहुत कोशिश थी कि भूपेंद्र हुड्डा से ये सीट छीन ली जाए, मगर सफल नहीं हो सकी थी.

दुष्यंत चौटाला की चुनौती

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बांगर बेल्ट में उचाना कलां सीट भी प्रदेश की सबसे हॉट सीट है. यहां पर हमेशा से बीरेंद्र सिंह व चौटाला परिवार या उनके उम्मीदवार के बीच सीधा मुकाबला रहा है. साढ़े चार दशक तक उचाना कलां की राजनीति बीरेंद्र सिंह परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है, लेकिन पिछली बार दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) यहां से जीते और उप मुख्यमंत्री बने. दुष्यंत चौटाला का फिर से यहां से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. अब दोनों बड़े राजनीतिक परिवारों के बीच भाजपा अपना मजबूत उम्मीदवार उतारने की जुगत में है. प्रेमलता भाजपा के टिकट पर विधायक बनी थीं, अब बीरेंद्र सिंह सपरिवार कांग्रेस में चले गए हैं.  जजपा और भाजपा का गठबंधन टूट चुका है. ऐसे में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. जननायक जनता पार्टी की ओर से दुष्यंत चौटाला चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं. कांग्रेस से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट मिलने की पूरी संभावना है. भाजपा के टिकट के लिए भी कई नेता लाइन में हैं.

अभय चौटाला किस राह?

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ऐलनाबाद के मौजूदा विधायक और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला (Abhay Chautala) इस बार फिर ऐलनाबाद से ही चुनाव लड़ेंगे. तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले अभय सिंह चौटाला एकमात्र विधायक थे जो बाद में हुए उपचुनाव में विजयी हुए थे. ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस दोनों की निगाह टिकी है. भाजपा के टिकट पर कप्तान मीनू बैनीवाल और गोबिंद कांडा दोनों चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. भाजपा-जजपा गठबंधन कराने में अहम भूमिका निभाने वाले मीनू बैनीवाल ने पिछले दिनों विधिवत भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है, जबकि अभय चौटाला के विरुद्ध उपचुनाव में गोबिंद कांडा भाजपा व जजपा गठबंधन के साझा उम्मीदवार थे. सभी दल अभय सिंह चौटाला को इस सीट पर घेरने की पूरी तैयारी में हैं.



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