भारत-बांग्लादेश सीमा का वो इलाका जहां लागू होते हैं दोनों देशों के कानून, जानें क्या है वजह

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बांग्लादेश अब धीरे-धीरे हिंसा और उथल-पुथल के दौर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. भारत से सटी सीमा पर भी तनाव साफ झलकता है, लेकिन इसी सीमा पर एक अनोखा इलाका है, जहां दोनों देशों के कानून लागू होते हैं और लोग बिना पासपोर्ट और वीजा के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं.

पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में तीन बिगहा कॉरिडोर को 1974 में बांग्लादेश को सौंपा जाना था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष मुजीबुर रहमान के बीच एक संधि के हिस्से के रूप में, भारत को तीन बिगहा की संप्रभुता सौंपनी थी. इसके बदले में बांग्लादेश तक गलियारा और दक्षिण बेरूबारी मिलता. इसका उद्देश्य बांग्लादेश की दाहरग्राम-अंगरपोटा परिक्षेत्रों तक और भारत के लिए दक्षिण बेरुबारी के निकट परिक्षेत्रों तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना था.

हालांकि बांग्लादेश ने समझौते का अंत बरकरार रखा, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर सका, क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होती. बाद में 1992 में एक समझौता हुआ और तीन बिगहा कॉरिडोर बांग्लादेश को पट्टे पर दे दिया गया.

इसने एक अनोखी स्थिति पैदा कर दी, जहां इस पट्टे की वजह से बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय धरती पर प्रवेश की अनुमति मिल गई वो भी बिना वीजा या पासपोर्ट के. समझौते की शर्तों के तहत, गलियारे से गुजरने वाले बांग्लादेशियों की तलाशी नहीं ली जाती है और न ही कोई चेकिंग होती है. 

वहां एक चौराहा भी है, जिसके माध्यम से भारत और बांग्लादेश दोनों देशों का यातायात संचालित होता है. बांग्लादेश के लिए पूर्व से पश्चिम और भारत के लिए उत्तर से दक्षिण, और ये ऐसा स्थान भी है जहां दोनों देशों के कानून लागू होते हैं. यदि कोई भारतीय किसी भी नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर भारतीय कानून लागू होगा और इसी तरह उस देश के नागरिक के लिए बांग्लादेशी कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.

भूमि की पट्टी भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश, दोनों संचालित करते हैं. यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

गलियारा जिस बांग्लादेशी परिक्षेत्र की ओर जाता है, उसका क्षेत्रफल 19 वर्ग किलोमीटर है और ये चारों तरफ से भारत से घिरा हुआ है.

बांग्लादेश में अब नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार है. शेख हसीना ने नौकरियों में विवादित आरक्षण व्यवस्था को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ हुए व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर पांच अगस्त से भारत में हैं.

जून में विरोध प्रदर्शनों की ताज़ा लहर शुरू होने के बाद से 450 से अधिक लोग मारे गए हैं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की भी खबरें आई हैं.

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है और बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा का भरोसा दिलाया.

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट कर जानकारी दी, "बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस का  टेलीफोन आया, बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया. लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बांग्लादेश के लिए भारत ने अपना समर्थन दोहराया. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया."

बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली थी.
 



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