पीएम मोदी ने ब्रुनेई में प्रसिद्ध उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का किया दौरा, सुल्तान के पिता ने करवाया था निर्माण

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय ब्रुनेई यात्रा के दौरान बुधवार को वहां की प्रसिद्ध उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का दौरा किया. इसे वर्तमान सुल्तान के पिता ने बनवाया था. धार्मिक मामलों के मंत्री पेहिन दातो उस्ताज अवांग बदरुद्दीन ने मस्जिद में प्रधानमंत्री का स्वागत किया.

पीएम ने मस्जिद के इतिहास को दर्शाने वाला एक वीडियो भी देखा. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री मोहम्मद ईशाम भी उपस्थित थे. पीएम मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "ब्रुनेई में उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद गया."

मस्जिद का नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय (वर्तमान सुल्तान के पिता, जिन्होंने इसका निर्माण भी शुरू कराया था) के नाम पर रखा गया है और इसका निर्माण 1958 में पूरा हुआ था. उन्हें आधुनिक ब्रुनेई का वास्तुकार माना जाता है.

मोदी द्विपक्षीय यात्रा पर ब्रुनेई जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 11वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्रुनेई गए थे.

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इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी का हवाई अड्डे पर शहजादे अल-मुहतदी बिल्लाह ने स्वागत किया. उन्हें हवाई अड्डे पर ‘गार्ड ऑफ ऑनर' भी दिया गया.

पीएम मोदी ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे देशों के बीच मजबूत संबंधों, खासकर वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. मैं हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के लिए ‘क्राउन प्रिंस' हाजी अल-मुहतदी बिल्लाह को धन्यवाद देता हूं.''

प्रधानमंत्री ने भारतीय उच्चायोग में नए ‘चांसरी' परिसर का भी उद्घाटन किया और  भारतीय प्रवासियों से बातचीत की. ‘चांसरी' परिसर का उद्घाटन करते हुए मोदी ने इसे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का संकेत बताया.

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प्रधानमंत्री ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘भारतीय उच्चायोग के नये ‘चांसरी' परिसर का उद्घाटन करके प्रसन्न हूं. ये ब्रुनेई दारुस्सलाम के साथ हमारे मजबूत संबंधों का संकेत है. यह भारतीय मूल के लोगों की भी सेवा करेगा.''

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘चांसरी' परिसर भारतीयता की गहन भावना को दर्शाता है. उसने कहा कि सुरुचिपूर्ण आवरण और टिकाऊ कोटा पत्थरों का उपयोग, इसके सौंदर्य आकर्षण को और बढ़ाता है, जो पारम्परिक और समकालीन तत्वों का सामंजस्यपूर्ण सम्मिश्रण है. बयान के अनुसार, ये डिजाइन न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि एक शांत और आकर्षक वातावरण भी प्रदान करता है.

बयान के अनुसार, ब्रुनेई में भारतीयों के आगमन का पहला चरण 1920 के दशक में तेल की खोज के साथ शुरू हुआ था. वर्तमान में, लगभग 14,000 भारतीय ब्रुनेई में रह रहे हैं.
 



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